Rajasthan Sachin Pilot Vs Ashok Gehlot: राजस्थान में मध्य प्रदेश वाली राजनीति का वायरस! क्या गहलोत सरकार संकट में है?



मध्य प्रदेश में हाल में क्या हुआ, इसे सबने देखा। हर मोर्चे पर, संसद के गलियारों में, चर्चाओं में और तकरीबन हर जगह राहुल गांधी के साथ अक्सर नजर आ जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रास्ता बदल लिया। राजस्थान में भी क्या कुछ ऐसा ही होने जा रहा है। पिछले दो दिनों से राजस्थान की राजनीति में जो हलचल नजर आ रही है, वो कांग्रेस के लिए शुभ संकेत तो कतई नहीं है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से डिप्टी सीएम सचिन पायलट की मतभेद की कुछ छिटपुट बातें यदा-कदा सामने आई हैं। सीएम कुर्सी की जो खींचतान रही, वो भी किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि राजस्थान में कांग्रेस को कहीं मध्य प्रदेश की राजनीति वाले 'वायरस' ने संक्रमित तो नहीं कर दिया।

Rajasthan News: खींचतान पहले से है, फिर नया क्या हुआ?


साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद ये खींचतान नजर आने लगी थी। कांग्रेस हाईकमान ने जैसे-तैसे मामले को सुलझाया। सचिन पायलट को आखिरकार डिप्टी सीएम की कुर्सी से संतोष करना पड़ा और गहलोत मुख्यंमंत्री बने। यहां ये भी बता दें कि सचिन पायलट इस समय कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी हैं और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री भी हैं।

गहलोत Vs पायलट, ये विवाद पुराना है लेकिन राजस्थान की राजनीति में हलचल पिछले महीने ज्यादा तेज हो गई। इस पर अशोक गहलोत के 11 जुलाई के बयान ने और तड़का लगा दिया। गहलोत ने 11 जुलाई को बीजेपी पर विधायकों की खरीद- परोख्त करने की कोशिश और सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाया। गहलोत ने दावा किया कि कांग्रेस के विधायकों को  25-25 करोड़ रुपये के ऑफर दिए जा रहे हैं।

मजेदार ये कि सचिन पायलट के सीएम बनने के लिए साजिश और कांग्रेस में गुटबाजी के सवाल पर मुख्यमंत्री गहलोत ने चुटकी लेते हुए कह दिया, 'कौन नहीं चाहता है मुख्यमंत्री बनना? हमारी तरफ से 5-7 कैंडिडेट मुख्यमंत्री बनने के लायक होंगे लेकिन सिर्फ एक ही सीएम बन सकता है। जब कोई सीएम बन जाता है तो बाकी दूसरे शांत हो जाते हैं।'

एसओजी के नोटिस से भड़के सचिन पायलट!


पिछले महीने यानी 19 जून को राजस्थान की राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव से पहले कांग्रेस ने कुछ विधायकों को प्रलोभन दिए जाने का आरोप लगाया था। पार्टी की ओर से इसकी शिकायत विशेष कार्यबल (एसओजी) को की गयी। अब इस पर एसओजी ने सरकार गिराने की कोशिशों के आरोपों की जांच' में मुख्यमंत्री गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट को पूछताछ का नोटिस जारी कर दिया। साथ ही कई मंत्रियों और दूसरे विधायकों को भी नोटिस भेजा गया है। हालांकि, गहलोत अब सफाई भी दे रहे हैं।

Rajasthan Sachin Pilot: सचिन पायलट मान जाएंगे?


सचिन पायलट दिल्ली में हैं और ऐसी खबरें हैं कि रविवार (12 जुलाई) को उन्होंने सिंधिया से भी मुलाकात की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनके साथ करीब 25 विधायक भी हैं। न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कांग्रेस के 30 विधायक और कुछ निर्दलीय भी सचिन पायलट के संपर्क में हैं। इन सभी का कहना है कि पायलट जो भी फैसला लेंगे वो उसका समर्थन करेंगे। 

हालांकि, पायलट के साथ माने जा रहे तीन विधायकों ने ये भी कहा कि राजस्थान सरकार पूरी तरह सुरक्षित है और अशोक गहलोत के साथ हैं। ये पूरी हलचल और तस्वीरें लगभग वहीं हैं जो किसी भी सरकार में बगावत के दौरान नजर आती हैं। सबकुछ ठीक..सबकुछ ठीक कहने वाले सबकुछ ले उड़ते हैं। अब कांग्रेस इसे संभाल ले जाए तो ठीक नहीं तो ऐसा लग नहीं रहा कि सचिन पायलट पीछे मुड़कर देखने के मूड में हैं।

सचिन पायलट का आरोप रहा है कि राजस्थान सरकार में उनकी अनदेखी की जा रही है। अभी जो कुछ जयपुर से दिल्ली के बीच हो रहा है, ये उसी का नतीजा है। सचिन पायलट कुल मिलाकर अब अपने विरोध के साथ खुल कर सामने आ गए हैं।

राजस्थान विधान सभा का नंबर गेम


200 विधायकों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं। इनमें बीएसपी के छह विधायक भी शामिल हैं। ये अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। इसके अलावा प्रदेश के 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी गहलोत सरकार को मिला हुआ है। कुल मिलाकर अभी कह सकते हैं कि गहलोत सरकार मजबूत स्थिति में है। दरअसल, 2018 के चुनावों में बीजेपी ने 73 सीटें ही जीती थीं। वैसे राजनीति में नंबर इस पाले से उस पाले में चला जाए, ये कहा नहीं जा सकता।

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