India Coronavirus Update: भारत में कोरोना संक्रमण के आंकड़े 2.5 लाख के पार, कहां जाकर अब थमेगी ये गिनती?

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले अब 2.5 लाख के पार हो चुके हैं। भारत में 30 जनवरी को कोराना का पहला मामला आया था और अब जून की 7 तारीख खत्म होते-होते ये आंकड़ा ढाई लाख के पार जा पहुंचा है। ये गिनती कहां जाकर खत्म होगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार के पास भी नहीं, जो अब तक ये श्रेय लेने में जुटी है कि कोरोना के मामलों को थामने में उसने सबसे बेहतर सक्रियता दिखाई।

भारत में 7 हजार के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। महाराष्ट्र में आज एक दिन में 3000 नए कोरोना मामले सामने आए हैं। देश में एक लाख 20 हजार से ज्यादा एक्टिव कोरोना मरीज है और ये संख्या बढ़ती ही जा रही है। इन सबके बीच सरकार की सक्रियता कहां आपको दिखाई देती है। चार घंटे पहले किसी स्टंट का प्रदर्शन करते हुए लॉकडाउन की घोषणा के अलावा सरकार कहां सक्रिय दिखाई देती है।

मामले जब ज्यादा बिगड़ने लगे और रोज 10 हजार के करीब कोरोना केस सामने आ रहे हैं, ऐसे समय में केंद्र सरकार ने अब हाथ खड़े कर लिए और सब कुछ राज्यों के भरोसे छोड़ दिया गया है। नाम हुआ तो हम और बदनाम हुए तो तुम। केंद्र सरकार की असल जिम्मेदारी तो अब आती है। विभिन्न राज्यों के अस्पतालों में क्या हो रहा है, हरियाणा-यूपी ने बॉर्डर बंद किए तो दिल्ली सरकार ने भी अपने अस्पताल दूसरे राज्यों के मरीजों के लिए बंद कर दिये। 

कोरोना के खिलाफ मिलकर ये कौन से लड़ाई हो रही है। टेस्टिंग को लेकर खेल चल रहा है, वो तो सभी को मालूम है। कोरोना का टेस्ट करा लेना एक लड़ाई से कम नहीं है। करा भी लिया तो बेड के लिए भटकते रहिए।

इन सब के बीच केंद्र सरकार कहां है। पीएम मोदी का देश के नाम संबोधन कहां है। लोगों को कुछ दिनों पहले तक घर में कैद रहने को कहने वाली अब बाहर निकलकर काम करने के लिए एड कैंपेन क्यों चला रही है? 500 केस पर लॉकडाउन और ढाई लाख के कोरोना मामले पार होने के बाद अनलॉक? कोई लॉजिक समझ में आ रहा है आपको? मुझे बिल्कुल नही आ रहा है।

हम जानते हैं कि अर्थव्यवस्था को गति देना जरूरी है नहीं तो हालात और बदतर होंगे। लेकिन सवाल है कि ये सब बातें क्या पीएम मोदी के संज्ञान में 24 मार्च तक नहीं आई थी? सरकार ने आखिर क्या नीति अपनाई है कोरोना को लेकर अब तक, इस सवाल का जवाब नहीं मिल पा रहा है। आखिर सरकार ने तब अचानक लॉकडाउन लगाया और फिर अब अनलॉक! नीति क्या है, सरकार क्या सोच रही है या सबकुछ बस 'राम भरोसे' चल रहा है, इस तर्ज पर कि कर के देखते हैं क्या नतीजा आता है?

इन सबके बीच नौकरी तो जा ही रही है। सरकार कहती रही कंपनियों से कि मुश्किल समय है। किसी को नौकरी से न निकाला जाए लेकिन सुनता कौन है। असल में सरकार भी जानती है कि उसके बस का इस मामले में कुछ है नहीं लेकिन टीवी पर भाषण देते हुए कुछ भी कहने में क्या जाता है। तो बस, सभी सवालों का जवाब यही है, भई आत्मनिर्भर बन जाइए...सरकार ने भी अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए आपको पहले ही चेता दिया है। और हां...फिर कोई शिकायत प्रधानमंत्री से नहीं कीजिएगा...।

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